आपने अक्सर TV या Newspaper में चक्रवात (Cyclone) के बारे में जरूर पढ़ा या सुना होगा कि ये चक्रवात खतरनाक होते हैं, काफी विनाशकारी होते हैं और इनसे भयंकर तबाही भी होती हैं।
लेकिन ये चक्रवात क्या हैं और ये कैसे बनते हैं? आज मैं आपको इसके बारे में विस्तार से बताने वाला हूँ। अतः आप ये पोस्ट पूरा जरूर पढ़े।
तो चलिए जानते हैं कि चक्रवात किसे कहते हैं और चक्रवात कितने प्रकार के होते हैं?
चक्रवात किसे कहते हैं, What is Cyclone?
जब किसी स्थान पर वायुदाब में अंतर पड़ने के कारण केंद्र में निम्न वायु दाब का निर्माण हो जाता हैं एवं उसके चारों ओर उच्च दाब रहता हैं तो वायु चक्राकार प्रतिरूप बनाते हुए उच्च दाब से निम्न दाब केंद्र की ओर तेजी से चलने लगती हैं, इसे ही चक्रवात कहा जाता हैं।
इस प्रकार चक्रवात सामान्यतः चलते-फिरते निम्न दाब के केंद्र होते हैं, जो चारों ओर से क्रमशः अधिक वायु दाब वाले समदाब रेखाओं से घिरे हुए होते हैं।
चक्रवात में वायु के चलने की दिशा उत्तरी गोलार्ध में घड़ी की सुइयों के विपरीत (Anticlockwise) एवं दक्षिण गोलार्ध में घड़ी की सुइयों की दिशा में (Clockwise) होती हैं।
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चक्रवात कितने प्रकार के होते हैं?
उत्पत्ति के आधार पर चक्रवात दो प्रकार के होते है- (1) शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (2) उष्णकटिबंधीय चक्रवात।
(1) शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात किसे कहते हैं?
शीतोष्ण कटिबंधीय (temperate zone) क्षेत्रों में इन चक्रवातों की उत्पत्ति तथा प्रभाव देखने को मिलता हैं। यह चक्रवात ज्यादातर शीत ऋतु में ही आते हैं। उन्हें गर्त चक्र या निम्न दाब क्षेत्र भी कहा जाता हैं। 30०– 65० अक्षांशो के बीच में जब उष्ण वायु राशियां आमने-सामने मिलती है तो ध्रुवीय पवनों के कारण चक्रीय उत्पत्ति होती हैं।
यह चक्रवात समुद और स्थल दोनों में उत्पन्न हो सकते हैं। शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात में लगातार कई दिनों तक भारी वर्षा होती हैं। इसमें आंख (eye) का अभाव होता हैं। इसका क्षेत्रफल लगभग 12 से 15 लाख वर्ग किलोमीटर तक हो सकता हैं।
(2) उष्णकटिबंधीय चक्रवात किसे कहते हैं?
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति दोनों गोलार्धों में 8० से 24० अक्षांशों के बीच मानी जाती हैं। ये शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की तरह समरूप नहीं होते हैं।
ये निम्न अक्षांशों के मौसम को प्रभावित करते हैं। इनकी गति सामान्यतः 30-32 किलोमीटर प्रति घंटा तक मानी जाती हैं।

इन चक्रवातों की तीव्रता सागर एवं महासागरों में अधिक होती हैं जबकि महाद्वीपीय क्षेत्रों में इनकी गति क्षीण हो जाती हैं। इसके अलावा तटीय क्षेत्रों में भी ये अधिक प्रभावी होते हैं।
इसकी उत्पत्ति ग्रीष्मकाल में होती हैं लेकिन विषुवत रेखा पर कोरियोलिस बल के प्रभाव के कारण ये उत्पन्न नहीं होते हैं।
इनका व्यास 500 से 800 किलोमीटर के बीच पाया जाता हैं एवं इसमें हवाओं की गति 120 से 200 किमी प्रति घंटा जाती हैं। इसके बीच में शांत क्षेत्र या आंख (eye) पायी जाती हैं और ये आंख मेघ रहित होती हैं।
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प्रतिचक्रवात किसे कहते हैं?
प्रति-चक्रवात वृत्ताकार समदाब रेखाओं द्वारा घिरा हुआ वायु का एक ऐसा क्रम हैं, जिसके केंद्र में वायुदाब अधिकतम होता हैं। केंद्र से बाहर की ओर यह क्रमशः घटता जाता हैं। फलस्वरूप हवाएं केंद्र से परिधि की ओर चलती हैं।
इनकी उत्पत्ति मुख्यतः उपोष्ण कटिबंधीय उच्च दाब क्षेत्र में होती हैं। यहां ऊपर से नीचे उतरती हैं एवं मंद गति से प्रवाहित होती हैं। प्रति-चक्रवात में वायु की दिशा उत्तरी गोलार्ध में घडी की सुइयों के अनुकूल (Clockwise) तथा दक्षिणी गोलार्ध में विपरीत (Anticlockwise) होती हैं।
प्रति-चक्रवात में वाताग्र का अभाव होता हैं। प्रति-चक्रवातों में पवन ऊपर से धीरे-धीरे नीचे उतरती हैं। इस प्रकार वायु के अवतलन के कारण प्रति-चक्रवातों में प्रायः वर्षा का अभाव होता हैं। परन्तु यदि ये चक्रवात महासागरों के ऊपर से गुजरते हैं तो इनमें आर्द्रता का समावेश हो जाता हैं, जिससे वर्षा होती हैं।
और आखिर में,
इस पोस्ट में आपने चक्रवात के बारे में काफी विस्तार से जाना कि चक्रवात किसे कहते हैं और चक्रवात कितने प्रकार के होते हैं। अगर ये जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के जानकारी से भरपूर आर्टिकल का नोटिफिकेशन सबसे पहले पाने के लिए आप नीचे दिए गए bell icon पर क्लिक करें और सब्सक्राइब करें।
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