प्यारे बच्चों कैसे है आप सब? आज एक बार फिर से आपके लिए मैं कुछ नई कहानियां लेकर आया हूँ जिन्हे आपको जरूर पढ़ना चाहिए। तो लीजिये पेश है बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां। हिंदी कहानियां अच्छी अच्छी आपके लिए।
बच्चों की अच्छी अच्छी कहानियां | हिंदी कहानियां अच्छी अच्छी:
ईश्वर पर भरोसा
एक बार भारी वर्षा के कारण गांव में बाद आ गई। गांववाले सुरक्षित स्थानों की ओर भागने लगे। एक साधु का शिष्य बोला, ‘गुरुदेव, बाढ़ बढ़ रही है। हमें भी अब यहाँ से निकलना चाहिए।’
साधु ने कहा, ‘मुझे कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है। मुझे ईश्वर पर पूर्ण विश्वाश है। वः मुझे बचाएंगे।’
जलस्तर और भी बढ़ता गया। कुछ देर बाद एक नाविक वहां आया और बोला, ‘महात्मा जी, नाव में बैठ जाइए।’
साधु ने फिर कहा, ‘मुझे ईश्वर पर पूरा भरोसा है।’
जलस्तर और बढ़ा तो साधु अपनी कुटिया की छत पर चढ़ गए।
तभी एक हेलीकॉप्टर आया और बचाव दल ने साधु से आग्रह किया।
साधु ने फिर कहा, ‘ईश्वर मुझे बचाएंगे।’
अंततः जलस्तर इतना बढ़ गया कि साधु डूब गए।
इसके बाद परलोक में ईश्वर से शिकायत की, ‘हे प्रभु! मैंने आप पर विश्वाश किया, फिर भी आप मुझे बचाने क्यों नहीं आए?
ईश्वर मुस्कुराए और बोले, ‘मैंने तुम्हें बचाने के लिए शिष्य, नाविक और हेलीकॉप्टर आदि भेजे थे, लेकिन तुमने मेरी सहायता को ठुकरा दिया।
लोमड़ी की चतुराई
एक समय की बात है। जंगल में एक लोमड़ी रहती थी जो बहुत चालाक थी। भूख लगने पर वह कभी कभी शेर का खाना भी चुरा लिया करती थी और शेर को पता भी नहीं लगने देती थी।
धीरे धीरे लोमड़ी की ये रोज की आदत हो गयी। अब उसने खाना जुटाने के लिए भागदौड़ करना बंद कर दिया। अब वो हर रोज चुपके से शेर की गुफा में जाती और शेर द्वारा किये गए शिकार में से कुछ हिस्सा चुरा कर ले आती और मजे से खाती।

इधर शेर भी इस बात से परेशान था की रोज रोज उसका खाना कौन चुरा रहा है। एक दिन उसने लोमड़ी को खाना चुराते हुए देख लिया। अब वो लोमड़ी को सबक सिखाना चाहता था।
अगले दिन शेर चुपके से लोमड़ी की गुफा में जा बैठा और लोमड़ी के आने का इंतज़ार करने लगा।
कुछ देर बाद जब लोमड़ी खाना लेकर वापस अपनी गुफा की तरफ आयी तो उसे कुछ आशंका हुई। उसने देखा कि उसकी गुफा के बाहर शेर के आने के निशान तो है लेकिन जाने के नहीं है।
इसका मतलब शेर उसकी गुफा में आकर बैठा हुआ है। लोमड़ी अब खतरे को पूरी तरह भांप गयी।
अब लोमड़ी ने चालाकी दिखाते हुए जोर से कहा – “मेरी प्यारी गुफा! तुम आज मुझे देखकर कुछ बोली नहीं। हर रोज की तरह क्या स्वागत नहीं करोगी मेरा?”
लोमड़ी की आवाज सुनकर शेर को लगा कि शायद ये गुफा रोज लोमड़ी का स्वागत करती होंगी। लेकिन हो सकता है कि मेरे डर के कारण आज ये कुछ बोल नहीं पा रही है।
जब गुफा में से कोई आवाज नहीं आयी तो लोमड़ी ने फिर कहा – ये गुफा, अगर तुम नहीं बोली तो मैं समझूंगी कि तुम मुझसे नाराज हो।
गुफा में से कोई आवाज नहीं आयी।
लोमड़ी ने गुस्से से फिर कहा – तो ठीक हैं अगर तुम नहीं बोलोगी तो मैं भी अंदर नहीं आउंगी।

उधर शेर ने सोचा ‘ये गुफा बोलती क्यों नहीं। अरे आज तो मेरे लिए एक अच्छा मौका है इसे सबक सिखाने का। लेकिन अगर ये गुफा नहीं बोली तो मेरा काम बिगड़ जायेगा और मौका हाथ से निकल जायेगा।”
तो चलो कोई बात नहीं गुफा की जगह आज मैं ही आवाज लगा देता हूँ।
इसके बाद जोर से बोला – मेरी प्यारी लोमड़ी, मैं तुमसे नाराज नहीं हूँ बस थोड़ी से नींद आ गयी थी मुझे। तुम्हारा स्वागत है। अंदर आ जाओ।
आवाज सुनकर लोमड़ी को ये यकीन हो गया कि ये उसी शेर की आवाज है।
लोमड़ी बोली – अच्छा! तो महाराज अंदर आप है। आपने तो मुझे मारने का पूरा प्लान बना रखा है। लेकिन मैं भी आपके हाथ कभी नहीं आने वाली। मुझे आपने मुर्ख समझा है क्या? भला गुफाये कब से बोलने लगी !
और ये कहकर लोमड़ी वहां से भाग निकली।
इस प्रकार लोमड़ी की चालाकी ने उसकी जान बचा ली।
आम का पेड़ और बरगद का पेड़
एक जंगल में दो पेड़ थे। एक आम का और दूसरा बरगद का। आम का पेड़ बहुत घमंडी था। गर्मियों के दिनों में जब उस पर आम लगते तो जंगल के सभी पशु पक्षी कीट पतंगे आम के पेड़ के पास जाते तो आम का पेड़ उन्हें तुरंत ही वहां से भगा देता था। और किसी को भी अपने पास नहीं आने देता था।
वह चिड़ियों को भी घोंसला बनाने नहीं देता था। उसकी हरकतों से सारा जंगल परेशान था।
दूसरी तरह जो बरगद का पेड़ बहुत ही विनम्र स्वभाव का था। उसके पास जो भी आता वो उसे शरण देता। जंगल के जीव जंतु उसकी छाया में बैठते। और पक्षी उस पर घोंसला भी बनाते।
इस प्रकार बरगद का पेड़ दिन भर पशु पक्षियों की चहचाहट से भरा रहता था। इसे देखकर बरगद का पेड़ बहुत खुश था।
धीरे धीरे जंगल से सभी पशु पक्षी आम के पेड़ से नफरत करने लगे। अब उन्होंने आम के पेड़ के पास जाना बंद कर दिया।
इधर आम मन ही मन इस बात से बहुत खुश था कि चलो छुटकारा मिला इन सभी से। अब अकेला ही आराम से वक़्त बिताऊंगा।
एक दिन अचानक जंगल में कुछ लकड़हारे जा पहुंचे। वो पेड़ काटने के इरादे से आये थे। उन्होंने सबसे पहले उसी आम के पेड़ को चुना। और वो आम के पेड़ की तरफ जाने लगे।
ये देखकर जंगल के पशु पक्षी बड़े खुश हुए। कि आज इस घमंडी को सबक मिल जायेगा।
बरगद के पेड़ ने ये सब देखा तो उसने अपने पास रहने वाले सभी जीव जंतुओं से कहा – “मेरे प्यारे मित्रों! देखो वो लकड़हारे उस आम के पेड़ को काटने ज आरहे है। हमें उसकी जान बचानी चाहिए।
तो सभी ने कहा ‘ नहीं, बरगद दादा। उसने हमारे साथ बहुत गलत किया है। वो बहुत घमंडी है और उसे सबक मिलना चाहिए।’
बरगद का पेड़ बोला – वो तो ठीक है लेकिन इस मुश्किल घडी में हमें उसकी मदद अवश्य करनी चाहिए। नहीं तो वो लकड़हारे आज उसे जड़ से काट डालेंगे। इसलिए मेरी बात सुनो और सब मिलकर उसकी मदद करो।
बरगद की बात सुनकर सभी मदद को तैयार हो गए।
इधर लकड़हारे आम के पेड़ को काटने ही वाले थे कि तभी सभी जानवर एक साथ मिलकर लकड़हारों पर हमला कर देते है। और उनको भागने पर मजबूर कर देते है।
इसके बाद सबने राहत की साँस ली। अब आम का पेड़ अपने किये पर बहुत शर्मिंदा था और उसने सबसे माफ़ी मांगी। उसे अहसास हो गया था कि अपने स्वार्थ के खातिर उसने सबको अपने से दूर कर दिया था।
इसके बाद सबने आम के पेड़ को माफ़ कर दिया और सबको फिर से अपने पास बुला लिया। अब फिर से सब आपस में मिल जुलकर रहने लगे।
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