लहसुन की उन्नत खेती कैसे करें या lahsun ki kheti kaise kare? आज इस लेख में हम लहसुन की उन्नत खेती के बारे में सबकुछ विस्तार से बताने वाले हैं। लहसुन की खेती से सम्बंधित कई सवाल किसान भाईयों के मन में होते हैं जिनके सही जवाब उन्हें आसानी से नहीं मिल पाते हैं। इसलिए इस लेख में हमने कुछ ऐसे ही सवालों को भी शामिल किया हैं।

अतः अगर आपको भी खेती से पैसे कमाने के बेहतर तरीकों के बारे जानना हैं तो आप ये लेख अंत तक जरूर पढ़े। आईये जानते है कि ज्यादा मुनाफे के लिए लहसुन की खेती कैसे करें? और लहसुन लगाने का सही तरीका क्या है?

लहसुन की उन्नत खेती कैसे करें | lahsun ki kheti kaise kare?

लहसुन (Garlic) एक बहुत ही महत्वपूर्ण सब्जी है जो दुनियाभर में इस्तमाल किया जाता हैं। लहसुन की खेती करने के लिए कुछ ज़रूरी उपायों को ध्यान में रखना होगा। इसके साथ ही कुछ महत्वपूर्ण बातों को भी जानना जरुरी हैं।

लहसुन लगाने का सही समय क्या है?

लहसुन की बुवाई ऐसे समय में की जाती हैं जब न तो ज्यादा गर्मी होती हैं न ज्यादा ठण्ड होती हैं। लहसुन की बुवाई करने का सही समय अक्टूबर से नवंबर के बीच का होता हैं।

1 एकड़ में कितना लहसुन पैदा होता है?

1 एकड़ में लगभग 40 से 45 क्विंटल लहसुन का उत्पादन हो जाता है। वहीं अगर बिघे की बात करें तो 8 से 10 क्विंटल प्रति बिघे तक लहसुन का उत्पादन होता है।

लहसुन कितने महीने में तैयार हो जाता है?

लहसुन की फसल 5 से 6 महीने (150 से 160) दिनों में तैयार हो जाती है। हालाँकि ये लहसुन की किस्म पर भी निर्भर करता हैं। जैसे गोदावरी किस्म का लहसुन 130 से 140 दिनों में पककर तैयार हो जाता हैं तो वही श्वेता किस्म का लहसुन 120 से 130 दिनों में ही तैयार हो जाता हैं।

लहसुन बोने से पहले क्या करना चाहिए?

बीज तैयार करना लहसुन बोने से पहले हमें लहसुन की कलियों का चयन करना पड़ता हैं। लहसुन की बड़ी बड़ी कलिया बुवाई के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। प्रति हेक्टेयर 500 से 600 किलोग्राम के हिसाब से बीज तैयार करें।

खेत तैयार करना – इसके साथ खेत को तैयार करना होता हैं। अगर आप जैविक खेती करना चाहते है तो आपको बुवाई से पहले प्रति हेक्टेयर 10 से 15 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद खेत में डालनी चाहिए जिसे हैरो (Disk Harrow) की मदद से अच्छे से मिटटी में मिला दिया जाता हैं।

इसके अलावा डी. ए. पी. एवं पोटाश की पूरी मात्रा तथा यूरिया की आधी मात्रा खेत की अंतिम तैयारी के समय भूमि मे मिला देनी चाहिए। इसके बाद खेत में हकाई करें।

लहसुन कितनी गहराई में लगाना चाहिए?

लहसुन की बुवाई या रोपण करते समय बीज को मिटटी में 5 सेंटीमीटर तक गहराई में ही लगाना चाहिए। इसके अलावा दो पौधो के बीच की उचित दूरी 7.5 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए।

लहसुन उगने में कितना समय लगता है?

बीज लगाने के 7 या आठ दिनों बाद की लहसुन में अंकुरण होने लगता हैं। इस दौरान फसल के साथ खरपतवार भी पनपने लगता है जिसकी रोकथाम भी बेहद जरुरी होती है क्योंकि ये मुख्य फसल को फलने फूलने से रोकता हैं। इसकी रोकथाम के लिए हाथ से खुरफी की सहायता से निराई गुड़ाई की जाती है। या फिर इसके लिए रासायनिक दवाओं का छिड़काव भी किया जा सकता है।

जिसमें रासायनिक (Chemical)- पेंडीमैथलीन 30 EC/ 3.5 से 4 मिलीलीटर या ऑक्सीफलोरोफिल 25 अनुपात EC का उपयोग 1.52 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के साथ बुवाई के पहले या बाद में स्प्रे कर देना चाहिए। इससे हम खरपतवार पर नियंत्रण पा सकते हैं.

लहसुन में पहला पानी कब दे?

लहसुन की बुवाई करने के बाद मिटटी को नमी की आवश्यकता होती हैं। इसलिए मिटटी में नमी को बनाये रखने के लिए आवश्यक मात्रा में हल्की सिंचाई की जरूरत होती है। इसके बाद अंकुरण होने के समय या बुवाई के 7 – 8 दिन बाद फिर से सिँचाई करें। इस प्रकार 8 – 10 दिनों के अंतराल के साथ लगभग 8 से 10 बार सिंचाई करें। इस दौरान ध्यान रहें कि हल्की सिंचाई ही करें एवं खेत में पानी भरने न दे।

लहसुन में आखिरी सिंचाई कब करना चाहिए?

फसल पकने के दौरान अर्थात लहसुन की खुदाई से 10 से 15 दिन पहले ही सिंचाई बंद कर देनी चाहिए।

लहसुन के लिए कौन सा उर्वरक सबसे अच्छा है?

फसल में खाद एवं उर्वरक की आवश्यकता मिटटी की उर्वरक क्षमता पर निर्भर करता है। सामान्यतौर पर प्रति हेक्टेयर 20-25 टन पकी गोबर या कम्पोस्ट या 5-8 टन वर्मी कम्पोस्ट, 100 कि.ग्रा.नाइट्रोजन, 50 कि.ग्रा. फास्फोरस एवं 50 कि.ग्रा. पोटाश की आवश्यकता होती है।

इसके अलावा 175 कि.ग्रा. यूरिया, 109 कि.ग्रा., डाई अमोनियम फास्फेट एवं 83 कि.ग्रा. म्यूरेट आफ पोटाश की जरूरत होती है। फसल में 30-40 दिन बाद आवश्यक मात्रा में यूरिया का छिड़काव करें।

लहसुन में यूरिया कितनी बार डालें?

लहसुन की फसल में 2 बार ही यूरिया डालना बेहतर माना जाता है। पहली बार बुवाई से तीसरी सिंचाई के मध्य और आखिरी बार फसल की खुदाई से लगभग 30 दिन पहले ही यूरिया का इस्तेमाल करें।

लहसुन में निराई गुड़ाई कब करें?

लहसुन की फसल में निराई गुड़ाई बेहद आवश्यक है। इससे फसल में वायु का संचरण बेहतर रूप से होता हैं तथा मिटटी भुरभुरी होने से लहसुन की गाँठे अच्छे से फैलती हैं। लहसुन में कम से कम 2 बार निराई गुड़ाई की जानी चाहिए।

प्रथम निराई-गुड़ाई फसल की बुवाई के लगभग 25 से 30 दिनों बाद एवं दूसरी बुवाई के 45 -50 दिनों के बाद करनी चाहिए।

लहसुन की कटाई कब और कैसे करें?

लहसुन की कटाई बुवाई के लगभग 150 दिनों के आसपास की जाती है। वैसे आप कुछ संकेतों से भी समझ सकते हैं अब लहसुन की कटाई का समय हो चुका है। जैसे लहसुन की पूर्ण गाँठे बनने के बाद पत्तियों का विकास होना बंद हो जाता हैं और पत्तियां पीली पड़कर सूखने लगती हैं।

जैसा कि आपको मालूम ही होगा कि लहसुन की फसल जमीन के अंदर पैदा होती हैं तो इसके लिए हमें लहसुन की खुदाई करनी होगी।

इसके लिए आप कुदाल की सहायता से लहसुन की खुदाई शुरू करें और पौधे को जड़ समेत उखाड़कर उनके छोटे छोटे गुच्छे बनाकर बांधते जाये। इसके बाद उन गुच्छों को 1 – 2 दिन खेत में ही सूखने के लिए छोड़ दे।

इसके बाद उन गुच्छों को खोलकर लहसुन की कटाई करें। इसके लिए आप दरांती, कैंची की सहायता ले सकते हैं।

ध्यान दे : आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना हैं कि आप लहसुन की कटाई तभी शुरू करें जब आपको फसल मंडी में बेचने के लिए ले जानी हो। क्योंकि लहसुन अपने डंठल से कटने के बाद ख़राब होने लगता हैं एवं इसकी कलियाँ भी बिखरने लगती हैं।

इसके बाद कटे हुए लहसुन को जालीदार बोरी, कट्टे या डिब्बों में भरकर उसे मंडी तक पहुँचाया जाता हैं।

और आखिर में,

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Rakesh Verma

Rakesh Verma is a Blogger, Affiliate Marketer and passionate about Stock Photography.

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