Bhediya Aaya Story in Hindi (गड़रिया की कहानी)
एक पहाड़ी की तलहटी में एक छोटा सा गांव था। उस गांव में रामू नाम का एक गड़रिया रहता था जो रोज अपनी भेड़ों को चराने के लिए उस ऊँची पहाड़ी पर जाया करता था। पहाड़ी पर हरी भरी घास खाकर उसकी भेड़े भी खूब मोटी ताजी हो गयी थी।
एक दिन हर रोज की तरह ही रामू अपनी भेड़ों को लेकर पहाड़ी की ओर गया। वहां जाकर उसे न जाने क्या शरारत सूझी और वो जोर जोर से चिल्लाने लगा – “बचाओ बचाओ, भेड़िया आया भेड़िया आया, अरे कोई मेरी मदद करो, देखो भेड़िया मेरी भेड़ बकरियों को मार रहा है।”
रामू के जोर जोर से चिल्लाने की आवाज सुनकर आसपास खेतों में काम कर रहे लोग रामू की मदद को दौड़ पड़े और जब पास जाकर उन्होंने देखा तो वहां तो सबकुछ ठीक ठाक था। वहां न तो कोई भेड़ मरी हुई थी और न वहां कोई भेड़िया था।
सब लोगों ने जब रामू से पूछा तो उसने जोर से हँसते हुए कहा – हा… हा… हा… मैं तो मजाक कर रहा था, मैं देखना चाहता था कि कोई मेरी मदद को आगे आता है या नहीं।
रामू की इस हरकत पर पहले तो सबको खूब गुस्सा आया परन्तु उसकी ये पहली गलती मानकर वो सब चुपचाप वहां से चले गये और वापस अपने काम में लग गये।
अगले दिन रामू फिर वही हरकत दोहराता हैं – “बचाओ बचाओ, भेड़िया आया भेड़िया आया, कोई मेरी मदद करो”
उसकी आवाज सुनकर आसपास के सभी किसान मजदूर दौड़े दौड़े रामू की मदद को आये लेकिन फिर वही माजरा देखकर रामू से पूछा – क्यों रामू कहां हैं भेड़िया और किस भेड़ को मारा हैं उसने ?
रामू फिर हँसते हुए बोला – हा… हा… हा… क्या तुम्हें नहीं मालूम? मैं तो मजाक कर रहा था। असल में यहाँ कोई भेड़िया आया ही नहीं था।
रामू की इस शरारत पर इस बार लोगों को बहुत गुस्सा आया और वे बोले – रामू तुम रोज़ रोज़ मजाक करके हमारा समय ख़राब करते हो। ये अच्छी बात नहीं है।
इस पर रामू एक बार फिर हँसता हैं।
इस प्रकार कुछ दिनों तक रामू ऐसी ही हरकतें करता रहा और लोग उसकी बात को सच मानकर उसकी मदद को आते रहे। लेकिन अब लोगों को ये बात समझ में आ चुकी थी कि रामू बस हमसे मजाक करने के मूड में ही बैठा रहता हैं।
लेकिन एक दिन वास्तव में एक खूंखार भेड़िया आ गया और एक एक करके उसकी भेड़ों को मारने लगा। यह देखकर रामू बहुत घबरा गया और जोर जोर से चिल्लाने लगा – “बचाओ बचाओ, भेड़िया आया भेड़िया आया, कोई मेरी मदद करो, आज वास्तव में एक भेड़िया आ गया हैं।
लेकिन उसकी ये बात सुनकर सभी लोग जानबूझ कर अनसुना कर देते हैं कि हर रोज की तरह आज भी फिर से ड्रामा कर रहा है। इस प्रकार कोई भी उसकी मदद को नहीं आया।
इधर भेड़िया रामू की कई सारी भेड़ों को अपना शिकार बना चुका था।
रामू अब भी लगातार मदद को चिल्लाता रहा। थोड़ी देर बाद कुछ किसान रामू की तरफ गए तो वहां का नजारा देखकर उनकी आंखे फटी की फटी ही रह गई। भेड़िये ने रामू की सभी भेड़ों को मौत के घाट उतार दिया था।
सब लोगों ने रामू से कहा – “देखा रामू ये सब तुम्हारे कर्मों का ही नतीजा हैं। न रोज रोज तुम हमसे ऐसा बेहूदा मजाक करते और न आज ये दिन तुमको देखना पड़ता। रामू अब क्या बोलता क्यूंकि उसके पास पछताने के सिवा अब कुछ नहीं बचा था।”
इस कहानी से शिक्षा : बार बार झूठ बोलने से विश्वश्नीयता कम हो जाती हैं।
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