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13 Best नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ हिंदी में

दोस्तों, किस्से कहानियां बचपन से ही हमें लुभाती आयी है क्यूंकि कहानियां हमे जिंदगी के अनुभव और हकीकतों से रूबरू कराती है साथ ही ये हमें कई तरह के शिक्षा मंत्र भी देती है जिनसे हमें अपने जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आये है – 13 नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ हिंदी में (Moral Stories in Hindi) 

मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको ये नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ जरूर पसंद आयेगी और इनसे कुछ सीखने को भी अवश्य मिलेगा। तो आईये चलते है किस्से कहानियों के रौचक सफर पे और पढ़ते है नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ हिंदी में।

13 नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ हिंदी में:

1 – सच्चा उपदेश 

एक बार एक साधु भिक्षा मांगते हुए एक घर के सामने पहुंचे। घर से बाहर एक महिला आई। उसने साधु की झोली में भिक्षा डाली और बोली कि महात्मा जी, कोई उपदेश दीजिये। साधु में कहा कि आज नहीं, कल दूंगा।

अगले दिन साधु फिर से उस महिला के घर पहुंचे और भिक्षा मांगी। उस दिन महिला ने खीर बनाई थी। वह खीर का कटोरा लेकर बाहर आई।

साधु ने कमंडल आगे कर दिया। जब महिला खीर देने लगी तो उसने देखा कि कमंडल में कूड़ा भरा हुआ था। यह देखकर वह रुक गयी और साधु ने बोली कि महात्मा जी, आपका कमंडल तो गन्दा है और इसमें कूड़ा भरा हुआ हैं।

लाईये मुझे यह कमंडल दीजिए, मैं अभी इसे साफ़ करके लाती हूँ, फिर इसमें खीर डालूंगी। इस पर साधु बोले कि मेरा भी यही उपदेश है।

मन में जब चिंताओं का कूड़ा और बुरे संस्कारों का कचरा भरा है, तब तक उपदेशामृत पान करना है तो सबसे पहले अपने मन को शुद्ध करना चाहिए, कुसंस्कारों का त्याग करना चाहिए, तभी सच्चे सुख और आनंद की प्राप्ति होगी।

कहानी से शिक्षा :सच्चा उपदेश पाने के लिए पहले मन का शुद्ध होना बहुत जरुरी हैं। 

2- सजा और सीख

एक बार एक राजा था जो किसी भी बात पर गुस्सा हो जाता था और बिना सोचे-समझे कोई भी सजा सुना देता था। एक बार उसे अपने महामंत्री पर गुस्सा आ गया और राजा ने उसे रातभर ठंडे पानी में खड़े रहने की सजा सुना दी।

अगले दिन जब महामंत्री राजा के सामने पहुंचा तो उसके चेहरे पर मुस्कान थी। राजा यह देखकर हैरान रह गया। उसने महामंत्री से पूछा कि तुम इतने शांत और खुश कैसे हो? क्या तुम्हें डर नहीं लग रहा?

महामंत्री बोला कि डर महाराज डर कैसा? मुझे किसी ने बताया था कि जो व्यक्ति बहुत गुस्सा करता है वह अगर ठन्डे पानी में रातभर खड़ा रहे तो उसका गुस्सा खत्म हो जाता है और साथ ही वह हमेशा जवान रहता है।

यह सुनकर राजा ने खुद ठंडे पानी में खड़े रहने का निश्चय किया और महामंत्री को वापस भेज दिया। इसके बाद पानी में कुछ पल बिताते ही राजा को ठंड लगने लगी और उसे अहसास हुआ कि जिनको वह सजा देता है, उन पर क्या गुजरती होगी। तभी उसने प्रण किया और गुस्सा करना हमेशा के लिए छोड़ दिया।  

कहानी से शिक्षा : गुस्सा और गुस्से में लिया गया निर्णय दोनों ही कभी सही नहीं होते। 

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3 – आशीर्वाद 

एक बार राजा के दरबार में राजकवि ने प्रवेश किया। राजा ने उन्हें प्रणाम करते हुए उनका स्वागत किया। राजकवि ने राजा को आशीर्वाद देते हुए उनसे कहा, ‘आपके शत्रु चरंजीव हो।’ इतना सुनते ही पूरी सभा दंग रह गई। 

यह विचित्र सा आशीर्वाद सुनकर राजा भी राजकवि से नाराज हो गए, पर उन्होंने अपने क्रोध पर नियंत्रण कर लिया। राजकवि को भी इस बात का भान हो गया कि राजा उनकी बात सुनकर नाराज हो गए है। 

उन्होंने तुरंत कहा, महाराज क्षमा करें। मैंने आपको आशीर्वाद दिया, पर आपने लिया नहीं। राजा ने कहा ‘ कैसे लू मैं आपका आशीर्वाद?’ आप मेरे शत्रुओं को मंगलकामना दे रहे हैं। 

इस पर राजकवि ने समझाया, ‘राजन! मैंने यह आशीर्वाद देकर आपका हित ही चाहा है। आपके शत्रु जीवित रहेंगे, तो आप में बल, बुद्धि, पराक्रम और सावधानी बनी रहेगी। 

सावधानी तभी बनी रह सकती है, जब शत्रु का भय हो। शत्रु का भय होने पर ही होशियारी आती हैं। उसके न रहने पर हम निश्चिंत और लापरवाह हो जाते हैं। अतः हे राजन ! मैंने आपके शत्रुओं की नहीं, आपकी ही मंगलकामना की है।

राजकवि के आशीर्वाद का मर्म जानकर राजा संतुष्ट हो गए और उनके आशीर्वाद को स्वीकार किया। 

कहानी से शिक्षा :शत्रु का भय होने पर ही होशियारी आती है।

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4 – गहरा ज्ञान 

पुराने समय में एक चित्रकार था। उसकी ख्याति दूर- दूर तक फैली हुई थी। राजा ने उसे एक बार दरबार में आमंत्रित किया और खुद का चित्र बनाने को कहा। 

कलाकार जैसे ही राजा का चित्र बनाने लगा तो पशोपेश में पड़ गया क्योंकि राजा एक आँख से काना था। यदि वह असली चित्र बनाता है तो राजा को अच्छा नहीं लगने की दशा में उसे मौत की सजा दे देता। 

और अगर दोनों आँखे सही बनाता है तो गलत चित्र बनाने की वजह से भी मौत की सजा हो सकती है। अगर वो नहीं बनाता है तो भी राजा उससे कुपित होकर उसे मृत्युदंड ही देता। 

ऐसे में उसे अपने गुरु की याद आई। गुरु के पास जाकर उसने अपनी व्यथा सुनाई। गुरु ने उसे बताया कि राजा को धनुर्धर के रूप में चित्रित करें जिसमे वह घोड़े पर सवार होकर तीर से निशाना लगा रहा हो। 

गुरु ने सुझाया कि वह उस आंख को बंद दिखा दे जो कानी हो। अब चित्रकार की समस्या खत्म हो चुकी थी। चित्र में राजा स्वयं को योद्धा के रूप में देखकर बेहद प्रसन्न हुआ और उसे यथोचित इनाम और सम्मान देकर विदा किया। 

कहानी से शिक्षा : कोई भी काम करने में जल्दबाजी नहीं की करनी चाहिए। हमें सबसे पहले उस विषय में गहरा ज्ञान लेना चाहिए। 

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5 – ऊँची सोच 


एक बार एक आदमी ने देखा कि एक गरीब फटेहाल बच्चा बड़ी उत्सुकता से उसकी महंगी ऑडी कार को निहार रहा था। गरीब बच्चे पर तरस खाकर उस अमीर आदमी ने उसे अपनी कार में बैठा कर घूमने ले गया। 

थोड़ी देर घुमाने के बाद उसे खाना भी खिलाया। गाड़ी से उतरते समय लड़के ने पूछा’ ‘साहब आपकी कार बहुत अच्छी है, यह तो बहुत कीमती होगी ना।’

अमीर आदमी ने गर्व से कहा, ‘हां, बेटा यह लाखों रूपए की है।’ गरीब लड़का बोला, ‘इसे खरीदने के लिए तो आपने बहुत मेहनत की होगी?’ 

अमीर आदमी हंसकर बोला, ‘बच्चे हर चीज मेहनत से नहीं मिलती। यह कार मुझे मेरे भाई ने उपहार में दी हैं। गरीब लड़के ने कुछ सोचते हुए कहा कि वाह! आपके भाई कितने अच्छे हैं। 

अमीर आदमी ने कहा कि मुझे पता है कि तुम सोच रहे होंगे कि काश तुम्हारा भी कोई ऐसा भाई होता जो इतनी कीमती कार तुम्हें गिफ्ट देता। 

गरीब लड़के की आँखों में अनोखी चमक थी, उसने कहा, ‘नहीं साहब, मैं तो आपके भाई की तरह बनना चाहता हूं।’

कहानी से शिक्षा : अपनी सोच हमेशा ऊंची रखो, दूसरों की अपेक्षाओं से कहीं अधिक ऊँची। 

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6 – कठिनाईयां


एक धनी राजा ने सड़क के बीचों-बीच एक बहुत बड़ा पत्थर रखवा दिया और चुपचाप नजदीक के एक पेड़ के पीछे जाकर छुप गया। 

दरअसल वो देखना चाहता था कि कौन व्यक्ति बीच सड़क पर पड़े उस भारी-भरकम पत्थर को हटाने का प्रयास करता है। कुछ देर इंतजार करने के बाद वहां से राजा के दरबारी गुजरते है। 

लेकिन वो सब उस पत्थर को देखने के बावजूद नजरअंदाज कर देते है। इसके बाद वहां से करीब बीस से तीस लोग और गुजरे लेकिन किसी ने भी पत्थर को सड़क से हटाने का प्रयास नहीं किया। 

करीब डेढ़ घंटे बाद वहां से एक गरीब किसान गुजरा। किसान के हाथों में सब्जियां और उसके कई औजार थे। किसान रुका और उसने पत्थर को हटाने के लिए पूरा दम लगाया। 

आखिर वह सड़क से पत्थर हटाने में सफल हो गया। पत्थर हटाने के बाद उसकी नजर नीचे पड़े एक थैले पर गई। इसमें कई सोने के सिक्के और जेवरात जेवरात थे। 

उस थैले में एक खत भी था जो राजा ने लिखा था कि ये तुम्हारी ईमानदारी, निष्ठा, मेहनत और अच्छे स्वभाव का इनाम है। 

जीवन में भी इसी तरह की कई रुकावटें आती हैं। उनसे बचने की बजाय उनका डटकर सामना करना चाहिए। 

कहानी से शिक्षा : मुसीबतों से डर कर भागे नहीं, उनका डटकर सामना करें। 

7 – श्रद्धा और तोहफा 


एक बार गौतम बुद्ध एक गांव में रुके हुए थे। वहां उनके प्रवचन सुनने के लिए रोज बहुत से लोग आते थे। एक दिन बुद्ध ने वहां से जाने की बात कही तो गांव वालों ने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की। 

हालाँकि बुद्ध ने उनकी बात नहीं मानी। इस पर गांव वालों ने तय किया कि वह उन्हें कुछ देकर विदा करेंगे। अगले दिन सब लोग कुछ न कुछ लाये थे और एक-एक करके उन्हें दे रहे थे। 

बुद्ध अपने शिष्यों से तोहफे उठवाकर एक तरफ रखवा रहे थे। वहां एक वृद्ध महिला ने अपनी बारी आने पर एक झूठा आम बुद्ध के सामने रख दिया। 

वह बोली कि महात्मा जी मैंने आपके सामने अपनी सारी जमा पूंजी रख दी है, कृपया इसे स्वीकार करें। बुद्ध ने उस झूठे आम को प्रेम सहित उठा लिया। 

सब लोगो ने बुद्ध से पुछा कि आपने उनके तोहफे तो शिष्यों से उठवाए और वृद्धा का झूठा आम खुद उठाया। ऐसा क्यों?

बुद्ध ने कहा कि वृद्धा ने श्रद्धापूर्वक अपना सब कुछ मुझे दे दिया जबकि आपने अहंकार में आकर महज दिखावे के लिए मुझे महंगे तोहफे दिए। लोगों को अपनी गलती समझ आ गई। 

कहानी से शिक्षा : श्रद्धा के साथ दिया गया छोटा तोहफा भी बहुत कीमती होता हैं। 

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8 – लालच का पिशाच 

दो दोस्त धन कमाने परदेश जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक बूढ़ा व्यक्ति उनकी और भागा आ रहा है। उसने पास आकर कहा कि इस रास्ते मत जाओ यहां एक पिशाच रहता है। यह कहकर वह दूसरी दिशा में भाग गया। 

दोनों ने सोचा कि बूढ़ा कोई डरावनी चीज को देखकर डर गया लगता है। यह सोचते हुए वे उसी दिशा में बढ़ गए। कुछ दूर चलने के बाद उन्होंने देखा कि रास्तें में एक थैली पड़ी हुई है। 

थैली को खोलकर देखा तो उसमे सोने की मोहरें थीं। दोनों ने सोचा कि अब तो काम बन गया। अब परदेश जाने की जरुरत नहीं, चलो अब घर लौट चले। 

इस पर पहले दोस्त ने कहा कि चलो अच्छा है पर बड़ी भूख लगी है तुम पड़ोस के गांव से खाना ले आओ फिर चलते है। 

दूसरा दोस्त भोजन की व्यवस्था के लिए गांव में चला गया। रास्ते में वह सोचने लगा कि अब तो मोहरे आधी- आधी हो जाएगी। तो क्यों न दोस्त को ज़हर देकर मार दिया जाये। 

उसने लौटते समय खाने में विष मिला दिया। इधर पहला दोस्त भी कुछ ऐसा ही सोच रहा था। जैसे ही दूसरा दोस्त खाना लेकर आया उसने पीछे से आकर उसका गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। 

इसके बाद जब उसने भी वह विषयुक्त खाना खाया तो खुद भी मर गया। 

इस कहानी से शिक्षा : लालच का पिशाच किसी को भी कहीं का नहीं छोड़ता। 

9 – खुद पर हो यकीन, कोशिश करते रहें 

एक गांव में एक महात्मा रहते थे, वह जब भी नाचते थे तो बारिश होती थी। एक बार शहर से चार लड़के गांव घूमने आए। जब उन्हें महात्मा और बारिश वाली बात मालूम हुई तो उन्हें यकीन नहीं हुआ। 

उन्होंने महात्मा को चुनौती दे दी कि वह सब भी नाचेंगे तो बारिश होंगी और अगर नाचने से बारिश नहीं हुई तो महात्मा के नाचने से भी नहीं होगी। 

अगले दिन सुबह-सुबह सब लोग इकट्ठे हो गए। लड़कों ने नाचना शुरू किया। आधा घंटा बिता और पहला लड़का थककर बैठ गया लेकिन बादल नहीं दिखे। 

कुछ देर में दूसरा भी बैठ गया। धीरे-धीरे घंटे भर बाद सभी लड़के बैठ गए लेकिन बारिश नहीं हुई। अब 
महात्मा की बारी थी। उन्होंने नाचना शुरू किया। 

कई घंटे बीते लेकिन बारिश नहीं हुई पर महात्मा रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। धीरे-धीरे शाम होने लगी तभी बादलों की गड़गड़ाहट सुनाई दी और बारिश होने लगी। 

लड़के हैरान रह गए। महात्मा ने बताया कि वह नाचते वक्त हमेशा दो बातों का ध्यान रखते हैं। पहली यह कि अगर वह नाचेंगे तो बारिश को आना पड़ेगा और दूसरी बात यह कि वह तब तक नाचेंगे, जब तक बारिश नहीं होगी।

कहानी से शिक्षा : खुद पर यकीन हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता।

10 – तीन सीखें 


एक बार एक राजा ने अपने तीनों पुत्रों को बुलाया और बोला कि हमारे राज्य में नाशपाती का कोई पेड़ नहीं है। मैं चाहता हूं की तुम सब चार-चार महीने के अंतराल पर इस पेड़ की तलाश में जाओ और पता लगाओ कि वह कैसा होता है। 

तीनों पुत्र बारी-बारी से गए और लौट आए। राजा ने फिर से सभी पुत्रों  बुलाया और उनसे पेड़ के बारे में पूछा। पहले पुत्र ने पेड़ को बिलकुल सूखा हुआ बताया। दूसरे पुत्र ने पेड़ को हरा-भरा लेकिन फलों से रहित बताया। 

तीसरे पुत्र ने पेड़ को हरा-भरा और और फलों से लदा हुआ बताया। इसके बाद तीनो पुत्र खुद को सही साबित करने के लिए लड़ने लगे। 

तभी राजा ने तीनों को रोका और बोला कि तुम्हें लड़ने की जरूरत नहीं है। तुम तीनों अपनी जगह सही हो। मैंने तुम तीनों को अलग-अलग मौसम में पेड़ खोजने भेजा था और तुमने जो देखा वह मौसम के अनुसार था। 

इससे मैं तुम्हे सीख देना चाहता हूँ। पहली यह कि सही जानकारी के लिए किसी चीज को लम्बे समय तक देखो-परखो। दूसरी यह कि मौसम की तरह ही वक्त भी एक सा नहीं रहता। अतः धैर्य रखो।

तीसरी यह कि अपनी बात को ही सही मानकर उस पर अड़े मत रहो। दूसरों के विचारों को जानना भी जरुरी है। 

कहानी से शिक्षा : सही जानकारी, सही वक्त और सही विचार ही सफलता दिलाते हैं। 

11. अमरता-अभिशाप

बात तब की हैं, जब सिकंदर न अपने बल के दम पर दुनियाभर में धाक जमा ली थी। वह अमर होना चाहता था। उसने पता लगाया कि कहीं ऐसा जल हैं, जिसे पीने से व्यक्ति अमर हो सकता हैं।

देश-दुनियाभर में भटकने के बाद आखिरकार सिकंदर ने वः जगह पा ही ली, जहां उसे अमृत की प्राप्ति होती। वह उस गुफा में प्रवेश कर गया, जहां अमृत का झरना था।

उसने जल पीने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि एक कौए की आवाज आयी। वः कौआ गुफा के अंदर ही बैठा था। कौआ जोर से बोला, ‘ठहर, रुक जा, यह भूल मत करना। सिकंदर ने कौए की ओर देखा।

वः बड़ी दयनीय अवस्था में था। उसके पंख झड़ गए थे। अँधा भी हो गया था, बस कंकाल मात्र ही शेष रह गया था। सिकंदर ने कहा, ‘तू रोकने वाला कौन?’ कौए ने उत्तर दिया, ‘मैं अमृत की तलाश में था और यह गुफा मुझे भी मिल गयी

मैंने अमृत पी लिया। मैं अब मरना चाहता हूँ। देख लो मेरी हालत। कौए की बात सुनकर सिकंदर बिना अमृत पिए चुपचाप गुफा से बाहर वापस लौट आया।

कहानी से शिक्षा : जीवन का आनंद उस समय तक ही रहता हैं, जब तक हम उस आनंद को भोगने की स्थिति में होते हैं।

12. कर्म और फल

एक बार देवर्षि नारद वैकुण्ठ धाम गए और श्रीहरि से कहा, ‘प्रभु, पृथ्वी पर आपका प्रभाव कम हो रहा हैं। धर्म पर चलने वालों को कोई अच्छा फल नहीं मिल रहा, जो पाप कर रहे हैं उनका भला हो रहा हैं।

भगवान ने कहा, ‘कोई ऐसी घटना बताओ। नारद ने कहा- अभी मैं जंगल से आ रहा हूं, वहां एक गाय दलदल में फंसी हुई थी। एक चोर उधर से गुजरा, पर गाय को देखकर भी नहीं रुका।

वह उस पर पैर रखकर दलदल लांघकर निकल गया। आगे जाकर चोर को सोने की मोहरों से भरी एक थैली मिली। वहां से एक वृद्ध साधु गुजरा। उसने गाय को बचा लिया।

मैंने देखा कि गाय को दलदल से निकालने के बाद वह साधु एक गड्डे में गिर गया। प्रभु, ‘बताईए यह कौन सा न्याय हैं?

नारद की बात सुनने के बाद प्रभु बोले, ‘यह सही ही हुआ। जो चोर गाय पर पैर रखकर भागा था, उसकी किस्मत में तो खजाना था लेकिन इसके कारण उसे केवल कुछ मोहरें ही मिली।

वहीं, उस साधु को गड्डे में इसलिए गिरना पड़ा क्यूंकि उसके भाग्य में मृत्यु लिखी थी लेकिन गाय के बचाने के कारण उसके पुण्य बढ़ गए और उसे मृत्यु एक छोटी सी चोट में बदल गई।

13. जीवन और मुसीबत

एक व्यक्ति परेशानियों से पूरी तरह घिर गया और निराश होकर बैठ गया और खुद को कोसने लगा। उसी समय एक दार्शनिक गुजर रहे थे।

उन्होंने युवक को निराश बैठे हुए देखा और कहा कि तुम इतने निराश क्यों हो? युवक बोला, ‘मेरे जीवन में बहुत परेशानियां हैं। एक परेशानी खत्म नहीं होती कि दूसरी खड़ी हो जाती हैं।’

वे बोले, ‘बस इतनी सी बात।’ वो उसे अपने साथ ले गए। रास्ते में वो ऊंटों के एक व्यापारी के पास रुक गए और उस व्यक्ति को भी वहीं रुकने के लिए बोला।

रात में जब दोनों सोने जा रहे थे तो उन्होंने उससे कहा कि आज व्यापारी बीमार हैं इसलिए तुम तब सोना जब सारे ऊंट सो जाएं। उनकी बात मानकर वह ऊंटों के सोने का इंतज़ार करता रहा।

सुबह हुई तो दार्शनिक उनके पास पहुंचा और बोला, ‘अच्छी नींद आई होगी तुम्हें?’ व्यक्ति बोला, ‘मैं पूरी रात नहीं सो पाया। एक ऊंट सोता तो दूसरा उठ जाता हैं।’

दार्शनिक ने उसे समझाया कि जिंदगी भी इसी तरह हैं। एक समस्या जाएगी तो दूसरी खड़ी हो जाएगी। उनका डटकर मुकाबला करो और जीवन का आनन्द लेलेते हुऐ उनका सामना करो। सभी परेशानियां कुछ समय मे अपने आप ही गायब होने लगेगी।

आखिर में, 

तो प्यारे दोस्तों!! कैसी लगी आपको ये नैतिक शिक्षाप्रद कहानियाँ, Top 13 Moral Stories in Hindi. अपने विचार हमे कमेंट करके जरूर बताये और आपको किस तरह की कहानियां पढ़ना पसंद है यह भी जरूर बताये।

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Rakesh Verma

Rakesh Verma is a Blogger, Affiliate Marketer and passionate about Stock Photography.

This Post Has One Comment

  1. Tirthak singh kaurav

    These moral stories are very good and give Knowledge , respect.

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